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NSG में हार कर भी कुछ इस तरह जीत गया भारत। जानिए कैसे मोदी ने विश्व को बाँट दिया भारत समर्थक और विरोधी चीन और पाकिस्तान खेमों में।

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यहां कल से NSG का मौसम थम नही रहा है और उस पर भिन्न भिन्न सूचनाओ, आरोपो और लानातों का बाजार गर्म है। हालत यह है जिन्हें इस महीने से पहले ( कुछ को अभी तक) NSG का मतलब नही मालूम था वह लोग मोदी जी को भरपूर चुनिंदा शब्दों से नवाज़ रहे है। अब क्योंकि NSG की बन्द कमरे में चली गुफ्तगू की सारी जानकारी छन कर बाहर आगयी है, इसलिए ठंडे दिमाग से वह लोग इस पोस्ट को जरूर पढ़े जिनका मन अभी भी मोदी जी को गाली देने से भरा नही है और NSG के कारण जिनके घर ईद की सिवइयां बन रही है।
 
पहली बात तो यह समझ लीजिये की भारत का NSG का सदस्य बनाने का विरोध सिर्फ और सिर्फ एक राष्ट्र द्वारा किया गया था। जो कल से 4/5/6 देशो के विरोध की बात चल रही है, वह बकवास है। भारत का विरोध सिर्फ चीन ने किया था।

दूसरी बात यह की मीटिंग के शुरू में 5 राष्ट्रों, जिसमे अमेरिका, फ्रांस और रूस शामिल थे, ने नए सदस्य राष्ट्र की भर्ती के लिए प्रस्तावना बनाई थी जिसमे, भारत की अहर्ता को देखते हुए NPT पर हस्ताक्षर की मुख्य शर्त की जगह, NPT के प्रविधानो  के अनुरूप राष्ट्र को प्रस्तावित किया गया था। भारत 2008 में ही NPT के प्रविधानो को पूरा कर चुका है।

तीसरी बात यह की चीन ने मीटिंग में इस तरह के प्रस्ताव को रखने या उस पर बात करने को यह कह कर वीटो किया था की इस सम्बन्ध में बात तभी हो सकती है जब किसी राष्ट्र को NSG का सदस्य बनाये जाने की बात नही होगी। विमर्श हो सकता है लेकिन कोई नया सदस्य नही बनाया जायेगा।

चौथी बात यह की पाकिस्तान का किसी भी तरह का जिक्र मीटिंग में नही हुआ था और न ही उसके आवेदन पर शामिल किये जाने की प्रस्तावना ही बनी थी। यहां तक की चीन ने भी पाकिस्तान के आवेदन पर सदस्य राष्ट्रों से विचार करने की कोई बात की थी।

पांचवी महत्वपूर्ण बात यह की NSG और MTCR के सदस्य बनने की भारत की अहर्ता 2008 में ही पूरी हो गयी थी लेकिन मनमोहन सिंह/ सोनिया गांधी की यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल में, इनका सदस्य बनने के लिए कोई भी आवेदन नही दिया था। इसके विपरीत, मोदी जी की एनडीए की सरकार ने MTCR के लिए 2015 में आवेदन दिया था और NSG के लिए मई 2016 में दिया था।

अब जब पांचवी बात को पढ़ेंगे तो आप समझ जायेंगे की मोदी जी के नेतृत्व में जहाँ भारत सिर्फ एक साल के भीतर ही MTCR का सदस्य बन गया है वहीं 2 महीने की मेहनत में 48 राष्ट्रों के समूह में चीन को एक अपवाद बना दिया है। NSG में हुयी घटना ने अंतराष्ट्रीय जगत को चीन वर्सस भारत में बाट दिया है, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। 

अब जिन लोगों को कांग्रेसी, आपिये, वामपंथियों और सेकुलरो की ईद खराब करनी हो वह ऊपर की पांचवी बात को उनके मुँह पर इत्मिनान से मार सकते है। यह भारत की धर्मनिरपेक्षिता और लोकतन्त्र की विडंबना है की जो लोग चीन के हाथो या तो बिके हुए थे या फिर डरे हुए थे, उनकी तो 2008 से लेकर 2014 तक MTCR और NSG के सपने देखने की भी हिम्मत नही थी लेकिन वही लोग आज मोदी जी की विदेश नीति और कुटनीति पर जुमले और तंज़ कस रहे है! भारत को मिली सफलता को असफलता बता रहे है! 

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