मशीन के सामने ॐ का उच्चारण किया तो बन गई श्री यंत्र की तस्वीर। ध्वनि तरंगों का चित्र बनाने वाली मशीन ने सनातन को सच साबित किया।
टोनोस्कोप का आविष्कार करने वाले
डाॅ.हैंस जेनी ने 1967 मे जब टोनोस्कोप नामक
यंत्र पर ॐ का उच्चारण
किया तो श्रीयंत्र की आकृति उभरकर सामने
आने लगी। इस यंत्र
का उपयोग ध्वनि तरंगों की तस्वीर देखने
के लिए किया जाता है। यह एक रहस्य
का विषय है कि प्राचीन काल में जब
टोनोस्कोप जैसा कोई उपकरण नहीं था,
लोग ॐ की ध्वनि तरंगों की तस्वीर (श्रीयंत्र)
को अच्छी तरह से प्रस्तुत करने
की क्षमता से युक्त थे।
इस बात पर Hans Jenny आश्चर्य व्यक्त करते
हुए कहते हैं।
कि पूर्वार्त्त देशों के मनीषी ऋषियों खोजे की थीं।
जैनी का उक्त प्रयोग मंत्र विज्ञान के
उस रहस्य को उद्घाटित करता है जिसमें
कहा गया है कि प्रत्येक मंत्र में अदृश्य
शक्तियाँ एवं इच्छाशक्ति की प्रखरता के
साथ जप करने पर प्रकट होती है
विख्यात थियोसोफिस्ट लेटवीटर,
एनी वेसेन्ट, मैडम ब्लैक्टस्
की आदि मनीषियों ने भी अपनी-
अपनी रचनाओं में स्पष्ट रूप से उल्लेख
किया है कि ‘मंत्र’ वर्णों के साधारण
संग्रह से पूर्णतः भिन्न एवं
शक्ति जागरण के स्त्रोत हैं। इस
सम्बन्ध में सर जॉन वुडरफ ने अपने
प्रसिद्ध ग्रंथ “गारलैण्ड आफ लेटर्स” में
लिखा है कि मंत्रों की विशिष्ट संरचना के
मूल में गुह्य अर्थ एवं शक्ति होती है
जो अभ्यास
कर्ता को दिव्यशक्तियों का पुँज
बना देती है।
जिसे यकिन ना हो वो खुद
Google मे tonoscope sri yantra om
लिखकर search कर सकता है.
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