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काला सच 2: जब लगे थे गांधी वापस जाओ के नारे और कहा गया इतिहास तुमसे इस धोखे का जवाब माँगेगा थूकेगा

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जागरूक इंडियन इक्स्क्लूसिव: इतिहास का वो काला दिन जो कभी पढ़ाया या बताया नहीं गया। नहीं! मैं गांधी को काले झंडे दिखाकर भाग जाने की और आने वाले कल में मुँह ना दिखा पाने की धमकी देने की बात नहीं कर रहा पर उस दिन की बात कर रहा हूँ जब गांधी ने खुल कर कहा था मैं भगत को नहीं बचाऊँगा वो लायक नहीं है क्यूँकि उसने हिंसा का सहारा लिया है और मैं अहिंसक हूँ। 

गांधी ने पहले तो स्वतंत्रता संग्राम को दाव पे लगाया इस अहिंसा के ढकोसले के नाम पर असहयोग आंदोलन वापस लेकर। उसके बाद भगत सिंघ का विरोध किया और तब भी नहीं रुके। भगत सिंघ को इसी अहिंसा के नाम पर सूली चढ़ जाने दिया। 

जबकि इतिहास जानता है की यदि गांधी ने अंग्रेज़ों द्वारा लाए गाए दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर के बदले भगत सिंघ राजगुरु एवं सुखदेव की ज़िंदगी माँगी होती तो अंग्रेज़ इंकार ना कर पाते।

परंतु गांधी ने बिना शर्त हस्ताक्षर कर दिए और भगत सिंघ को अहिंसा के नाम पर क़ुर्बान कर दिया और स्वतंत्रता संग्राम को धोखा से दिया। 

भगत सिंघ को फाँसी के बाद जब गांधी देश भर में रेल्लिया करने जाते तो वहाँ जवान लड़के लड़कियाँ गांधी का बहिष्कार करते हुए उसे काले झंडे दिखाते और यही कहते की इतिहास इसके लिए कभी तुम्हें माफ़ नहीं करेगा।

अगले अंक में पढ़िए: धोखा दे दिया होता नेहरु और गांधी ने अगर भगत ना होते Dominion Status थी गांधी की माँग। भगत ने की ख़िलाफ़त और माँगा पूर्ण स्वराज तब खिल्ली उड़ते देख गांधी ने लिया था यू टर्न। 
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