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RSS का क़र्ज़ भूली माया जब इज़्ज़त बचाई थी RSS ने जानिए गेस्टहाउस कांड जब सपा के गुंडों से माया को बचाया था RSS लट्ठमार ने

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समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के दोबारा साथ आने की संभावनाओं का अंत हो गया। मायावती ने बुधवार को लखनऊ गेस्टहाउस कांड का याद कर मुलायम से दोस्ती से इनकार कर दिया। 

लखनऊ गेस्टहाउस कांड का हवाला देकर ही वह दोनों नेताओं की दोस्ती के अगुवा लालू प्रसाद यादव पर भी जमकर बरसीं। उन्होंने कहा कि वैसी घटना लालू की बहन-बेटी के साथ हुई होती तो वह गठबंधन की बात कभी नहीं करते। 

माया-मुलायम की अदावत के कारण लखनऊ गेस्टहाउस की यादें फिर ताजा हो गईं हैं। हालांकि अब भी एक बड़े हिस्से के लिए ये कौतुहल ही है कि 2 जून 1995 को लखनऊ के राज्य अतिथि गृह में हुआ क्या था? 

उस घटना की जानकारी के लिए ही मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहनजी' का अंश प्रकाशित किया जा रहा है। किताब के हिंदी अनुवाद के पृष्ठ 104 और 105 पर छपा ये अंश गेस्टहाउस में उस दिन घटी घटनाओं का पूरा ब्योरा है।

1995 की बात है लखनऊ का गेस्टहाउस काण्ड ...

जब पार्टी के गुंडों ने दलित महिला मायावती को कमरे में बंद करके मारा था और उनके कपड़े फाड़ दिए थे ...
रेप होने ही वाला था । तब मायावती को अपनी जान पर खेलकर सपाई गुंडों से अकेले भिड़ने वाले बीजेपी विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी ही थे... उनके पर जानलेवा हमला हुआ फिर भी वो गेस्टहाउस का दरवाजा तोड़कर मायावती जी को सकुशल बचा कर बाहर निकाले थे .. यूपी की राजनीती में इस काण्ड को गेस्टहाउस काण्ड कहा जाता है और ये भारत के राजनीती पर कलंक है .. खुद मायावती ने कई बार कहा है की जब मै मुसीबत में थी तब मेरी ही पार्टी के लोग गुंडों से डरकर भाग गये थे लेकिन ब्रम्हदत्त द्विवेदी भाई ने ही अपनी जान की परवाह किये बिना मेरी जान बचाई थी |

ये बात मै उन दलित मित्रो को याद दिलाने के लिए लिख रहा हूँ जो कुछ मुस्लिम लोगो के बहकावे में आकर संघ और बीजेपी और हिंदुत्व के बारे में बहुत खराब लिख रहे है .. ब्रम्हदत्त द्विवेदी संघ के संघसेवक थे और उन्हें लाठीबाजी आती थी इसलिए वो एक लाठी लेकर कट्टा राइफल लिए हुए गुंडों से भीड़ गये थे| मायावती ने भी उन्हें हमेशा अपना बड़ा भाई माना और कभी उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा नही किया ..मजे की बात ये की पुरे यूपी में मायावती बीजेपी का विरोध करती थी लेकिन फर्रुखाबाद में ब्रम्हदत्त जी के लिए प्रचार करती थी ... और जब सपाई गुंडों ने बाद में उनकी गोली मारकर हत्या करदी थी तब मायावती उनके घर गयी थी और खूब फुट फुटकररोई थी और उनकी विधवा जब चुनाव में खड़ी हुई थी तब मायावती ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार न ही उतारा था और लोगो से अपील की थी की मेरी जान बचाने के लिए दुश्मनी मोल लेकर शहीद होने वाले मेरे भाई की विधवा को वोट दे ..




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