सबसे बड़े इस्लामिक विद्वान ने कहा, ‘देश को मां का दर्जा देना इस्लाम में लिखा है’
नई दिल्ली। बीते दिनों MIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि वह भारत माता की जय नहीं बोलेंगे। उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर उनकी गर्दन पर छुरी भी रख दे कोई तो भी वह ये नहीं बोलेंगे। जिसके बाद से पूरे देश में बवाल शुरू हो गया था। कई नेताओं ने उनके इस बयान का विरोध किया था। एक बीजेपी नेता ने तो यहां तक बोल दिया था कि ओवैसी की जुबान काटने वाले को वह एक करोड़ का इनाम देंगे। इसी बीच पाकिस्तान के मशहूर इस्लामिक स्कॉलर और राजनेता ताहिर उल कादरी ने कहा कि वतन को मां का दर्जा देना इस्लाम की तालीम और उसके इतिहास का हिस्सा हैं।
ताहिर उल कादरी ने आतंकवाद के खिलाफ खोला था मोर्चा
ताहिर उल कादरी ने कहा कि वतन की सरजमीन को मां का दर्जा देना, वतन की सरजमीन से मोहब्बत करना, वतन की सरजमीन से प्यार करना, वतन की सरजमीन के लिए जान भी दे देना, ये हरगिज़ इस्लाम के खिलाफ नहीं है। ये इस्लामी तालीम में शामिल है। ताहिर उल कादरी ने कहा कि जो वतन से प्यार के खिलाफ बात करता है उसे चाहिए कि कुरान को पढ़े। इस्लामी इतिहास को पढ़े। ताहिर उल कादरी आतंकवाद के खिलाफ 20 मार्च को होने वाली इंटरनेशनल सूफी कॉन्फ्रेंस में शरीक होन के लिए भारत आए हैं। दिलचस्प पहलू ये है कि इस्लाम के जिस संप्रदाय को असदुद्दीन ओवैसी का संबंध है, ताहिर उल कादरी उसी संप्रदाय के दुनिया के बड़े विद्वानों में शामिल हैं। साल 2012 में ओवैसी और ताहिर उल कादरी को मंच साझा करते हुए भी देखा गया था।
क्या कहा था ओवैसी ने
एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि वह ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलेंगे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के विरोध में ओवैसी ने यह बात कही थी। भागवत ने पिछले दिनों सुझाव दिया कि नई पीढ़ी को भारत माता की जय बोलना सीखाना होगा। असदुद्दीन ओवैसी ने सभा में मौजूद लोगों से कहा कि मैं भारत में रहूंगा पर भारत माता की जय नहीं बोलूंगा। क्योंकि यह हमारे संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि भारत माता की जय बोलना जरूरी है।
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