ads

जवाहरलाल नेहरू की पकड़ी गयी थी देश के साथ गद्दारी ! सरदार पटेल ने पकड़ लिया था नेहरु का एक झूठ

"Follow Us On Facebook"
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बारे में आपने बहुत से किस्सों को सुन रखा होगा.
कई बार बातें और तस्वीरें ऐसी होती हैं कि आम आदमी का खून खोलने लगता है. जहाँ देश उस समय में राम-राज्य के ख्वाब को पूरा होता हुआ देखना चाहता था तो पंडित जी ना-जाने अपना कौन सा ख्वाब पूरा करने में डूबे हुए थे.
ऐसा ही नेहरू का एक किस्सा और लोग बताते हैं. कुछ पुस्तकें और लोगों की जीवनियाँ बताती हैं कि जब देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी की मृत्यु हुई थी तो नेहरू उनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हुए थे.
यहाँ तक कि जब वह राष्ट्रपति के पद से मुक्त हुए थे तो उनको रहने के लिए एक अच्छी और सुविधाजनक जगह का भी इंतजाम प्रधानमंत्री नेहरू ने नहीं किया था. राजेन्द्र प्रसाद जी के करीबी लोग बताते हैं कि सभी जानते थे कि प्रसाद जी को दमा की बिमारी है. वह जहाँ रह रहे थे उस कमरे में सीलन रहती थी इसी कारण इनकी मौत दमा से जल्दी हो गयी थी.

बड़े नेता ने किया खुलासा नेहरू राजेंद्र जी की मौत के समय कहाँ थे?





उसी कमरे में रहते हुए राजेन्द्र बाबू की 28 फरवरी, 1963 को मौत हो गई. क्या आप मानेंगे कि उनकी अंत्येष्टि में पंडित नेहरु ने शिरकत करना तक भी उचित नहीं समझा. वे उस दिन जयपुर में एक अपनी  ‘‘तुलादान’’ करवाने जैसे एक मामूली से कार्यक्रम में चले गए. यही नहीं, उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल डा.संपूर्णानंद को राजेन्द्र बाबू की अंत्येष्टि में शामिल होने से रोका. नेहरु ने राजेन्द्र बाबू के उतराधिकारी डा. एस. राधाकृष्णन को भी पटना न जाने की सलाह दे दी. लेकिन, डा0 राधाकृष्णन ने नेहरू के परामर्श को नहीं माना और वे राजेन्द्र बाबू के अंतिम संस्कार में भाग लेने पटना पहुंचे. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि नेहरू किस कदर राजेन्द्र प्रसाद से दूरियां बनाकर रखते थे.
इस सच का खुलासा खुद तत्कालीन राज्यपाल डा.संपूर्णानंद ने किया था. 
सभी लोग इस बात की सत्यता की जाँच कर सकते हैं. यह पढ़कर वाकई ऐसा लगता है कि गांधी जी ने किस व्यक्ति के हाथ में देश की बागडौर दे दी थी. किन्तु सत्य यह है कि गांधी भी नेहरू को पसंद नहीं करते थे. इसकी पूरी खबर आपको अपने अगले लेखों में दिखायेंगे.
जब सरदार पटेल ने पकड़ ली थी नेहरू की गद्दारी
बात यह थी कि जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे कि डा. राजेंद्र प्रसाद देश के राष्ट्रपति बनें. इनको पता था कि राजेन्द्र जी इनकी बातें नहीं मानते हैं. इसीलिए नेहरू ने एक झूठा दांव खेला और इसमें वह खुद ही फंस गये थे.
नेहरु ने 10 सितंबर, 1949 को डा. राजेंद्र प्रसाद को पत्र लिखकर कहा कि इन्होंने (नेहरू) और सरदार पटेल ने फैसला किया है कि सी.राजगोपालाचारी को भारत का पहला राष्ट्रपति बनाना सबसे बेहतर होंगा. नेहरू ने जिस तरह से यह पत्र लिखा था,  उससे डा.राजेंद्र प्रसाद को घोर कष्ट हुआ और उन्होंने पत्र की एक प्रति सरदार पटेल को भिजवा दी. क्योकि राजेन्द्र जी जानते थे कि पटेल जी कुछ कहना होता है तो वह सामने से बोलते हैं छुपकर नहीं बोलते.
पटेल उस वक्त बम्बई में थे. कहते हैं कि सरदार पटेल उस पत्र को पढ़ कर सन्न थे, क्योंकि, उनकी इस बारे में नेहरू से कोई चर्चा नहीं हुई थी कि राजाजी (राजगोपालाचारी) या डा. राजेंद्र प्रसाद में से किसे राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए. न ही उन्होंने नेहरू के साथ मिलकर यह तय किया था कि राजाजी राष्ट्रपति पद के लिए उनकी पसंद के उम्मीदवार होंगे.
सरदार जी ने यह बात राजेन्द्र बाबू को बताई. तुरंत पटेल जी ने नेहरू को पत्र लिखा और नेहरु का यह झूठ पकड़ा गया.
इसके बाद पटेल जी समझ गये थे कि नेहरू देश के साथ गद्दारी कर रहा है. तब बात ज्यादा बढ़े इससे बचने के लिए जवाहर लाल नेहरू ने राजेन्द्र प्रसाद को ही राष्ट्रपति चुन लिया था. किन्तु जब तक प्रसाद जी पद पर रहे, इन्होनें अपनी पूरी दुश्मनी प्रसाद जी से निकाली थी.
"Follow Author"
You May Also Like
loading...
loading...
Loading...
JAGRUK INDIAN NEWS MEDIA. Powered by Blogger.