मोदीयुग-योग दिवस की तरह बनेगा अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव।दुनिया जानेगी संस्कृति।इंडोनेशिया ने पीएम मोदी से की अपील
इंडोनेशिया सरकार ने मोदी सरकार से किया अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव मनाने का अनुरोध!
दुनिया की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के संस्कृति व शिक्षा मंत्री अनीस वास्वेदन ने मोदी सरकार से मांग की है कि भारत में हर साल रामायण पर्व का आयोजन किया जाए और यह भी कि भारतीय कलाकार हर साल इंडोनेशिया के कई शहरों में रामलीला का मंचन करें। उन्होंने यह मांग भारत के संस्कृति मंत्री महेश शर्मा से मिलकर की है! यह सूचना के एक खबर पढ़ने के दौरान मिली।
मैं सोचता हूं, यदि भारत सरकार ने गलती से इंडोनेशिया सरकार के इस मांग को मान लिया तो सेक्यूलर जमात तुरंत ‘हिन्दू राष्ट्र बनाने की मोदी-संघ की साजिश’- का 24 घंटे रुदाली गान शुरू कर देंगे! इंडोनेशिया मानता है कि हमने अपने मजहब बदले हैं, अपने पूर्वज और अपनी संस्कृति नहीं!
दूसरी तरफ भारत में मजहब बदलने वालों में अधिकांश ने अरब व वेटिकन वालों को अपना बाप मान लिया और इस देश की प्राचीन परंपराओं व पूर्वजों के प्रति एकाएक नफरत से भर उठे! वे राम से बड़ा बाबर व सेंट फ्रांसिस को मान बैठे!
एक बात और, इन अरब-वेटिकन के औलादों को सेक्यूलर सर्टिफिकेट देने वाले पत्रकारों व बुद्धिजीवियों के बाप भी भारतीय नह़ी, मास्को और बिजिंग वाले हैं, तभी यहां देशद्रोह अभिव्यक्ति की आजादी है, क्योंकि इनकी वफादारी इस देश से अधिक अपने वैचारिक बापों के देश के प्रति है! भारत के प्रति नफरत से भरे लोगों, इंडोनेशिया से कुछ सीखो! इंडोनेशिया के पूर्वज व संस्कृति आज भी वही है, भले ही वहां के लोगों ने अपना मजहब बदल लिया हो!!
मैं सोचता हूं, यदि भारत सरकार ने गलती से इंडोनेशिया सरकार के इस मांग को मान लिया तो सेक्यूलर जमात तुरंत ‘हिन्दू राष्ट्र बनाने की मोदी-संघ की साजिश’- का 24 घंटे रुदाली गान शुरू कर देंगे! इंडोनेशिया मानता है कि हमने अपने मजहब बदले हैं, अपने पूर्वज और अपनी संस्कृति नहीं!
दूसरी तरफ भारत में मजहब बदलने वालों में अधिकांश ने अरब व वेटिकन वालों को अपना बाप मान लिया और इस देश की प्राचीन परंपराओं व पूर्वजों के प्रति एकाएक नफरत से भर उठे! वे राम से बड़ा बाबर व सेंट फ्रांसिस को मान बैठे!
एक बात और, इन अरब-वेटिकन के औलादों को सेक्यूलर सर्टिफिकेट देने वाले पत्रकारों व बुद्धिजीवियों के बाप भी भारतीय नह़ी, मास्को और बिजिंग वाले हैं, तभी यहां देशद्रोह अभिव्यक्ति की आजादी है, क्योंकि इनकी वफादारी इस देश से अधिक अपने वैचारिक बापों के देश के प्रति है! भारत के प्रति नफरत से भरे लोगों, इंडोनेशिया से कुछ सीखो! इंडोनेशिया के पूर्वज व संस्कृति आज भी वही है, भले ही वहां के लोगों ने अपना मजहब बदल लिया हो!!
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