ads

अमेरिकी वैज्ञनिकों का दावा- मिथ नहीं असली हैं राम-रावण और हनुमान! दूरी की सटीक लिखित गणना के मिले सबूत

"Follow Us On Facebook"
नई दिल्ली (25 मार्च):रामायण और महाभारत की कथाओँ को मिथ कहने वाले लोगों को अब अपने शब्द वापस लेने होंगे। क्यों कि अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उस स्थान को खोज निकाला का है जिसका उल्लेख रामायण में पाताल लोक के रूप में है। कहा जाता है कि हनुमानजी ने यहीं से भगवान राम व लक्ष्मण को पातालपुरी के राजा अहिरावण के चंगुल से मुक्त कराया था। 

ये स्थान मध्य अमेरिकी महाद्वीप में पूर्वोत्तर होंडुरास के जंगलों के नीचे दफन है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने लाइडर तकनीकी से इस स्थान का 3-डी नक्शा तैयार किया है, जिसमें जमीन की गहराइयों में गदा जैसा हथियार लिये वानर देवता की मूर्ति होने की पुष्टि हुई है।
स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज के निदेशक और वैदिक विज्ञान केन्द्र के प्रभारी प्रो. भरत राज सिंह ने बताया है कि पहले विश्व युद्ध के बाद एक अमेरिकी पायलट ने होंडुरास के जंगलों में कुछ अवशेष देखे थे। अमेरिकी पत्रिका 'डेली टाइम्स गज़ट' के मुताबिक इस शहर की पहली जानकारी अमेरिकी खोजकर्ता थिंयोडोर मोर्ड ने 1940 में दी थी। एक अमेरिकी पत्रिका में उसने उस प्राचीन शहर में वानर देवता की पूजा होने की बात भी लिखी थी, लेकिन उसने जगह का खुलासा नहीं किया था। बाद में रहस्यमय तरीके से थियोडोर की मौत हो गई और जगह का रहस्य बरकरार रहा।
करीब 70 साल बाद अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी व नेशनल सेंटर फार एयरबोर्न लेजर मैपिंग के वैज्ञानिकों ने होंडुरास के घने जंगलों में मस्कीटिया नामक स्थान पर लाइडर नामक तकनीक से जमीन के नीचे 3-डी मैपिंग की, जिसमें प्राचीन शहर का पता चला। इसमें जंगल के ऊपर से विमान से अरबों लेजर तरंगें जमीन पर फेंकी गईं। इससे 3-डी डिजिटल नक्शा तैयार हो गया। 3-डी नक्शे में जमीन के नीचे गहराइयों में मानव निर्मित कई वस्तुएं दिखाई दीं। इसमें हाथ में गदा जैसा हथियार लिए घुटनों के बल बैठी हुई है वानर मूर्ति भी दिखी है।
होंडुरास के जंगल की खुदाई पर प्रतिबंध के कारण इस स्थान की वास्तविक स्थिति का पता लग पाना मुश्किल है। होंडुरास सरकार ने इस की पुख्ता जानकारी के लिए आदेश जारी किये हैं। अमेरिकी इतिहासकार भी मानते हैं कि पूर्वोत्तर होंडुरास के घने जंगलों के बीच मस्कीटिया नाम के इलाके में हजारों साल पहले एक गुप्त शहर सियूदाद ब्लांका का वजूद था। वहां के लोग एक विशालकाय वानर मूर्ति की पूजा करते थे। प्रो. भरत राज सिंह ने बताया कि बंगाली रामायण में पाताल लोक की दूरी 1000 योजन बताई गई है, जो लगभग 12,800 किलोमीटर है।
यह दूरी सुरंग के माध्यम से भारत व श्रीलंका की दूरी के बराबर है। रामायण में वर्णन है कि अहिरावण के चंगुल से भगवान राम व लक्ष्मण को छुड़ाने के लिएबजरंगबली को पातालपुरी के रक्षक मकरध्वज को परास्त करना पड़ा था। मकरध्वज बजरंगबली के ही पुत्र थे, लिहाजा उनका स्वरूप बजरगंबली जैसा ही था। अहिरावण के वध के बाद भगवान राम ने मकरध्वज को ही पातालपुरी का राजा बना दिया था। जमीन के नीचे वानर मूर्ति मिलने के बाद अनुमान लगाया जा सकता है कि बाद में वहां के लोग मकरध्वज की ही मूर्ति की पूजा करने लगे।
"Follow Author"
You May Also Like
loading...
loading...
Loading...
JAGRUK INDIAN NEWS MEDIA. Powered by Blogger.