तलिओं के लिए केजरीवाल सस्ते और घटिया सामान से पुल बनवाकर बचा रहे पैसे, कोलकाता में जो हुआ दिल्ली में भी हो सकता है: कांग्रेस
जहां सरकार सदन से बाहर ढिंढोरा पीटती नहीं थकती है कि उसने करोड़ों रुपए बचाए वहीं सदन में विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल कि ‘करोड़ों कैसे बचाए’ का जवाब सरकार को देते नहीं बन रहा था। जवाब नहीं मिलने से नाराज विपक्ष ने हंगामा किया और सदन से बाहर चले गए।
नई दिल्ली. बाहरी दिल्ली रिंग रोड, आजादपुर से प्रेमबाड़ी पुल पर एलीवेटेड फ्लाइओवर, मंगोलपुरी में आईटीआई के लिए भवन निर्माण के दौरान करोड़ों रुपए बचाने के मुद्दे पर आप सरकार घिर गई है। जब यह मुद्दा सदन में गूंजा, तो सरकार के पास तत्थात्मक रूप से कहने के लिए कुछ नहीं था। विपक्ष के सवालों पर सत्तापक्ष के सदस्य बगले झांकने लगे, यहां तक की सदन में मौजूद पीडब्लयूडी मंत्री सतेंद्र जैन, मंत्री गोपाल राय, मंत्री इमरान हुसैन और संदीप भी चुप्पी साधे रहे।
जहां सरकार सदन से बाहर ढिंढोरा पीटती नहीं थकती है कि उसने करोड़ों रुपए बचाए वहीं सदन में विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल कि ‘करोड़ों कैसे बचाए’ का जवाब सरकार को देते नहीं बन रहा था। जवाब नहीं मिलने से नाराज विपक्ष ने हंगामा किया और सदन से बाहर चले गए।
मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सरकार से प्रश्न करते हुए कहा कि सरकार हर कार्यक्रम में दावा कर रही है कि आप सरकार आने के बाद लोक निर्माण विभाग के कार्य से पैसे बच रहे हैं। एलीवेटेड फ्लाईओवर पर 300 करोड़ बचाने का दावा किया। मंगोलपुरी में आईटीआई भवन का निर्माण करने में भी पैसे बचाने का दावा किया, लेकिन यह नहीं बताया कि यह पैसे कैसे बच रहे हैं। वास्तव में सरकार झूठ बोल कर भ्रम फैला रही है।
पहले भी बचते रहें हैं पैसे
अधिकारियों की मानें तो निर्माण कार्य में पैसे की बचत पहले भी होती रही है। विभाग हमेशा प्रोजेक्ट की लागत से अधिक का बजट तैयार करती है। इस दौरान हर आइटम का रेट फिक्स होता है और उसी के आधार पर निर्माण होता है। अभी सीमेंट व आयरन के दामों में आई गिरावट के कारण लागत में कमी आई है। वहीं अब से पहले इंजीनियर बचे हुए पैसे को सरकार को वापस न कर अन्य निर्माण कार्य में लगा देते थे। इस बार ऐसा नहीं हो रहा। बल्कि जो वास्तव लागत है वहीं दिया जा रहा है। बचे हुए पैसे सरकार को वापस भेज दिया जाता है जिसे सरकार फिर से दिखा कर अन्य निर्माण कार्य में लगा रही है। सरकार का यह कहना कि उनके कारण पैसे बच रहे हैं गलत है।
अधिकारियों की मानें तो निर्माण कार्य में पैसे की बचत पहले भी होती रही है। विभाग हमेशा प्रोजेक्ट की लागत से अधिक का बजट तैयार करती है। इस दौरान हर आइटम का रेट फिक्स होता है और उसी के आधार पर निर्माण होता है। अभी सीमेंट व आयरन के दामों में आई गिरावट के कारण लागत में कमी आई है। वहीं अब से पहले इंजीनियर बचे हुए पैसे को सरकार को वापस न कर अन्य निर्माण कार्य में लगा देते थे। इस बार ऐसा नहीं हो रहा। बल्कि जो वास्तव लागत है वहीं दिया जा रहा है। बचे हुए पैसे सरकार को वापस भेज दिया जाता है जिसे सरकार फिर से दिखा कर अन्य निर्माण कार्य में लगा रही है। सरकार का यह कहना कि उनके कारण पैसे बच रहे हैं गलत है।
इसी दौरान विधायक ओपी शर्मा ने टिप्पणी की कि दिल्लीवाले दो जादूगरों को जानते थे अब तीसरे जादूगर केजरीवाल आ गए हैं। जो झूठ को भी सच दिखा देते हैं। इसपर सदन में हंगामा हो गया। मजबूरन विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने रूलिंग देते हुए कहना पड़ा कि नेता प्रतिपक्ष अपने मुद्दे से भटक रहे हैं। इसपर नेताप्रति पक्ष ने जबाव मांगा तो सत्ता पक्ष के कुछ विधायक भड़क गए। इस मामले को लेकर काफी देर तक सदन में हंगामा होता रहा।
वैट घटाने का दावा झूठा: कांग्रेस
सोमवार को पेश किए गए दिल्ली सरकार के बजट पर कांग्रेस का कहना है कि यह बजट केवल लोगों को बहकाने के पुलिंदे से ज्यादा कुछ नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने मंगलवार को कहा है कि आप सरकार में फैले भ्रष्टाचार की वजह से सरकार का बजट केवल आंकड़ों का खेल बनकर रह गया है। वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया के तमाम दावों के बाद भी यह सच्चाई है कि सरकार राजस्व जुटाने में पूर्व की कांग्रेस सरकार से पिछड़ गई है।
सोमवार को पेश किए गए दिल्ली सरकार के बजट पर कांग्रेस का कहना है कि यह बजट केवल लोगों को बहकाने के पुलिंदे से ज्यादा कुछ नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने मंगलवार को कहा है कि आप सरकार में फैले भ्रष्टाचार की वजह से सरकार का बजट केवल आंकड़ों का खेल बनकर रह गया है। वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया के तमाम दावों के बाद भी यह सच्चाई है कि सरकार राजस्व जुटाने में पूर्व की कांग्रेस सरकार से पिछड़ गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार गत वर्ष के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में वैट संग्रह में 3000 करोड़ रुपये की कमी है, जो 12.5 फीसदी बनता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले बजट में जो वादे किए थे उनका क्या हुआ, उस पर चुपी क्यों। योजना और गैर-योजना खर्च में एक बड़ा अंतर है जिसकी वजह से, विकास कार्यों में एक ठहराव आ गया है। पांच प्रतिशत बिक्री कर से न सिर्फ कपड़ा मंहगा होगा, बल्कि गरीब कामगारों के रोजगार पर भी फर्क पड़ेगा। इसे देख विपक्ष ने इस मुद्दे के खिलाफ सदन से वॉकऑउट कर दिया
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