50 साल में पहली बार कोई केंद्र सरकार सख्त,लद्दाख सीमा पर तैनात हुए 100 टैंक। जानिए मोदी का मास्टर प्लान
नई दिल्ली, 19 जुलाई : चीन और भारत के रिश्ते के बीच की कड़वाहट जग-जाहिर है। इसकी कुछ वजह तो इतिहास की देन है और कुछ वजह भौगोलिक है। हालाँकि ऐसा नहीं है की इसे सुलझाने का प्रयास नहीं किया गया है। चीन और भारत के तरफ से समय-समय पर इस पर प्रयास भी किये गए है लेकिन दोनों के रिश्ते सुधरने के लिए वो नाकाफी साबित हुए है।
दोनों देशों के बीच विवाद का मुख्य कारण सीमा रेखा है। भारत के उत्तर पूर्व के राज्यों की सीमायें चीन से मिलती है। दोनों देशो के बीच अभी तक “लाइन ऑफ़ कंट्रोल” का निर्धारण नहीं हो सका है जो किसी देश का अन्य देशों की सीमाओं के साथ होता है। भारत और चीन के बीच जो सीमा रेखा है उसे Line of Actual Control कहा जाता है। इसी कारण चीन कभी भारत की सीमा में प्रवेश कर जाता है तो कभी अरुणाचल प्रदेश पर अपना हक़ दिखाता है जिससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है।
जब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने है, अपने पडोसी देशो से संबंध सुधारने का हर संभव प्रयास किया है चाहे वो पकिस्तान हो या चीन। उनके इस कदम से सफलता भी मिली है, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे होते है जिस पर देश हित को ध्यान में रखकर कठिन निर्णय लेने पड़ते है। ऐसी ही स्थिति चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर है।
पिछले साल लद्दाख में हुए चीनी सेना के घुसपैठ को ध्यान में रखकर इस साल भारत सरकार पहले से ही सतर्क हो गयी है और किसी भी स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी कर रही है। भारत ने पूर्ववर्ती कदम उठाते हुए पूर्वी पहाड़ियों पर अपने टैंकों की तैनाती कर दी है। NDTV के रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना ने लद्दाख की 14000 फुट की ऊंचाई पर 100 टैंक तैनात कर दिए है, और इसे बढ़ाये जाने की संभावना है। सीमा के उस पार चीन के सैनिकों की बढ़ती गतिविधियों को ध्यान में रखकर भारत ने भी अपने सैनिकों की पर्याप्त तैनाती कर दी है। ऐसा कदम भविष्य के किसी भी स्तिथि से तत्काल निपटने के लिए किया गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल एस के पायलट ने THE HINDU से बातचीत के दौरान कहा की “ हमें अपनी सीमा की सुरक्षा करनी है और इसके लिए हम इस तरह के प्रयास कर रहे है।”
पूर्वी सीमा की भौगोलिक स्तिथि पर नजर डाली जाय तो यह बहुत ही दुर्गम इलाका है और साथ-साथ ठण्ड भी कड़ाके की पड़ती है। टैंक यूनिट कमांड के नेतृत्व करने वाले विजय दलाल ने बताया की यहाँ का तापमान -45 डिग्री तक पहुंच जाता है जिससे टैंकों की कार्य क्षमता प्रभावित होती है, जिससे बचने के लिए टैंकों को रात में दो बार चालु किया जाता है और स्पेशल ल्यूब्रिकैंट का उपयोग किया जाता है, ताकि समय पर सही काम कर सके।
चीन पिछले कुछ समय से इस इलाके में सड़कों और हवाई पट्टियों में भारी निवेश कर रहा है। उसका यह कदम दर्शाता है की उसके इरादे ठीक नहीं है। भारत ने भी अपने टैंकों की पोजीशन से चीन को साफ सन्देश दिया है इस इलाके में चीन के किसी भी रवैये से निपटने के लिए हम पूरी तरह तैयार है।
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